Karm Vachya – जो छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की या किसी सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं उन्हें हिंदी ग्रामर के विषय को ध्यान से पढ़ना चाहिए क्युकी इसमें से आने वाले प्रश्न हिंदी ग्रामर के विषयों से ही आते हैं छात्रों को जानकारी होनी चाहिए की Karm Vachya Kise Kahate Hain, Karm Vachya कितने प्रकार के होते हैं, उनके नियम और उपयोग क्या है आइये Karm Vachya के बारे में विस्तार से पढ़ते हैं।
Karm Vachya Kise Kahate Hain – कर्मवाच्य की परिभाषा
Karm Vachya वह वाक्य होता है जिसमे कर्म की प्रधानता का बोध होता है जिसमे क्रिया का संबंध कर्म से होता है ऐसे वाक्य को Karm Vachya कहते हैं। सरल शब्दों में हम कह सकते हैं कि क्रिया का वह रूप जिससे कर्म की प्रधानता का बोध हो, उसे कर्मवाच्य कहते हैं Karm Vachya सकर्मक क्रिया होती है।
Karm Vachya Examples – कर्मवाच्य के उदाहरण
- रमेश के द्वारा कार्य किया गया
- लेखकों द्वारा लेखिका लिखी गयी
- उससे लड़ाई लड़ी गई
- दुर्गेश को जमानत दी गई
कर्मवाच्य का प्रयोग – Karm Vachya
हिंदी व्याकरण में कर्मवाच्य का उपयोग किया जाता है जहां कर्ता का कोई पता नहीं होता उदाहरण के लिए :
- गाड़ी भेजी गई
- पत्र पढ़ा गया
हिंदी व्याकरण में कर्म वाच्य का उपयोग तब भी किया जाता है जब कोई कार्य अचानक होता है उदाहरण के लिए :
- ट्रेन की पटरी टूट गई
- चाय का गिलास गिर गया
कर्मवाच्य में जहां कर्ता को किसी भी तरह से प्रकट नहीं करना होता वहां कर्मवाच्य का उपयोग होता है उदाहरण के लिए :
- बाढ़ की सुरक्षा के लिए सेना भेजी जा रही है
- मौत का पता लगाया जा रहा है
कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य
- एचआर द्वारा एंपलॉई को छुट्टी दे दी गई
एंप्लोई को छुट्टी दे दी - कवि द्वारा कविता सुनाई जाती थी
कवि कविता सुनाता था - आज हमें गणित पढ़ाया गया
आज हमने गणित पढ़ा
Conclusion – हमने इस पेज के माध्यम से Karmvachya के ऊपर सभी विषयों को सरल भाषा में कवर किया है Karm Vachya Kise Kahate Hain,Karm Vachya Ke Bhed उदाहरण सहित यहाँ बताये गए हैं
FAQs About Karm Vachya Kise Kahate Hain
Q1. कर्मवाच्य से आप क्या समझते हैं?
Ans : Karm Vachya क्रिया का वह रूप होता है जिसमें कर्म की प्रधानता का बोध हो उसे कर्मवाच्य कहते हैं।
Q2. कर्मवाच्य के उदाहरण बताइये ?
Ans : महेश के द्वारा कार्य किया गया, उससे गीता पढ़ी गई।
Q3. कर्मवाच्य का उपयोग कहां होता है ?
Ans : जहां कर्ता का कोई पता नहीं होता, कोई कार्य अचानक होना, कर्ता को प्रकट ना करना आदि।