Sanyukt Kriya In Hindi – आज हमें क्रिया के भेद के बारे में पढ़ने जा रहे हैं जो दो क्रियो से मिलकर बनती है इस विषय का नाम है Sanyukt Kriya आज यहां पर हम पढ़ने वाले हैं Sanyukt Kriya Kise Kahate Hain, Sanyukt Kriya के कितने भेद होते हैं और संयुक्त क्रिया की पहचान हम कैसे कर सकते हैं।
Definition Of Sanyukt Kriya In Hindi – संयुक्त क्रिया की परिभाषा
Sanyukt Kriya का अर्थ होता है मिलन या जुड़ने से। Sanyukt Kriya वह क्रिया होता है जिसमें दो क्रिया आपस में मिलकर तीसरी एक नई क्रिया का निर्माण करती है उसे संयुक्त क्रिया कहते हैं।
अर्थात हम सरल शब्दों में क्या कह सकते हैं कि जब तक दो क्रिया मिलती है तो बनने वाली नई क्रिया को संयुक्त क्रिया कहते हैं।
Types Of Sanyukt Kriya In Hindi – संयुक्त क्रिया के भेद
- आरंभ बोधक
- समाप्ति बोधक
- अवकाश बोधक
- अनुमति बोधक
- नित्यता बोधक
- आवश्यकता बोधक
- निश्चय बोधक
- इच्छा बोधक
- अभ्यास बोधक
- शक्ति बोधक
- पुनरुक्त बोधक
आरंभ बोधक : आरंभ बोधक उसे कहते हैं जब किसी क्रिया में आरंभ होने का ज्ञान प्राप्त हो तो उसे आरंभ बोधक कहते हैं उदाहरण के लिए – रीना रोने लगी, मोहन दौड़ने लगा आदि।
समाप्ति बोधक : वह क्रिया जिसमें किसी क्रिया का पूरा होने का या जो समाप्त होने का बोध हो उसे समपित संयुक्त क्रिया कहते हैं। उदाहरण के लिए – राधा चली जा चुकी है, मोहन नाच चुका है आदि।
अवकाश बोधक : वह भौतिक क्रियाएं जिसमें वाक्य को निष्पत्र करने के लिए अवकाश का ज्ञान प्राप्त होता है उदाहरण के लिए – शाम नहीं जा पाया, सीता खाना ना का सकी आदि।
अनुमति बोधक : संयुक्त क्रियाएं कि वह क्रिया जिसमें किसी कार्य को करने के लिए किसी से अनुमति लेनी होती है या उसे अनुमति का ज्ञान प्राप्त होता है उसे अनुमति बोधक संयुक्त क्रिया कहते हैं। उदाहरण के लिए मोहन को भगाने दो, उसे खाना दे दो आदि।
नित्यता बोधक : वह क्रियाएं जिसमें क्रिया का बंद होने का बोध होता है उसे नित्यता बोधक संयुक्त क्रिया कहते हैं। उदाहरण के लिए – वर्षा हो रही है, राम बोल रहा है आदि।
आवश्यकता बोधक : वह बौद्धिक क्रियाएं जिसमें किसी काम की आवश्यकता का ज्ञान प्राप्त होता है उसे आवश्यकता बोधक संयुक्त क्रिया कहते हैं। उदाहरण के लिए – शाम को खाने को जल्दी खाना चाहिए आदि।
निश्चय बोधक : संयुक्त क्रिया का वह क्रिया जिसमें किसी भी क्रिया का निश्चित भाव प्रकट हो उसे निश्चयबोधक संयुक्त क्रिया कहते हैं। यह पूर्ण रूप से पहले पूरी तरह से निश्चित होता है। उदाहरण के लिए फिर वह चला गया, वह उसे मार कर ही कर गया आदि।
इच्छा बोधक : जब किसी क्रिया में किसी काम को करने के लिए इच्छा वाले भाव उत्पन्न होते हैं उसे इच्छा बोधक संयुक्त क्रिया कहते हैं। उदाहरण के लिए – मैं शहर जाना चाहता हूं, मैं पढ़ना लिखना चाहता हूं आदि।
अभ्यास बोधक : संयुक्त क्रिया में वह क्रिया जिसमें किसी क्रिया को करने में अभ्यास का भाव उत्पन्न होता है उसे अभ्यास बोधक संयुक्त क्रिया कहते हैं। उदाहरण के लिए – राहुल जाया करता है, रमेश दौड़ता जाता है।
शक्ति बोधक : जिस क्रिया को करने में शक्ति का बोध होता है उसे शक्तिबोधक संयुक्त क्रिया कहते हैं उदाहरण के लिए – श्याम दौड़ सकता है, राधा नाच सकती है।
पुनरुक्त बोधक : जिस क्रिया में दो समान ध्वनि वाले क्रियो का बोध हो या उनका योग होता है उसे पूर्ण रूप से संयुक्त क्रिया कहते हैं उदाहरण के लिए – मोहन सिलाई कटाई करता है।
Examples Of Sanyukt Kriya In Hindi – संयुक्त क्रिया के उदाहरण
- रीना ऑफिस चली गई।
- वह खेल चुका है।
- तुम रामायण पढ़ने लगे थे।
- राधा ने लस्सी पी लिया।
- रजनी दौड़ने लगी।
- रोहन शहर से लौट आया।
- श्याम चलने लगा।
- सीता घर पहुंच गई।
Conclusion : यदि कोई छात्र है जो संयुक्त क्रिया के बारे में जानकारी ढूंढ रहा है वह इस पेज Sanyukt Kriya In Hindi को ध्यान से कर सकता है क्योंकि यहां पर संयुक्त कार्य विषय के ऊपर सभी जानकारी बताई गई है।
FAQs About Sanyukt Kriya In Hindi
Q1. संयुक्त क्रिया क्या होती है ?
Ans : वह क्रिया जिसमें दो क्रिया मिलकर किसी तीसरे क्रिया का निर्माण का आविष्कार करते हैं उसे संयुक्त क्रिया कहते हैं।
Q2. संयुक्त क्रिया कितने प्रकार की होती है ?
Ans : संयुक्त क्रिया 11 प्रकार की होती है :
- आरंभ बोधक
- समाप्ति बोधक
- अवकाश बोधक
- अनुमति बोधक
- नित्यता बोधक
- आवश्यकता बोधक
- निश्चय बोधक
- इच्छा बोधक
- अभ्यास बोधक
- शक्ति बोधक
- पुनरुक्त बोधक
Q3. संयुक्त क्रियाएं किन योग शब्दों से मिलकर बनती है ?
Ans : संयुक्त क्रियो में ना शब्द वाले सकना, चुकना, लगना, करना, पड़ना, रहना, रखना, उठाना, डाल, ‘भेजना, ‘चाहना, होना, आना-जाना, लेना शब्दों से मिलकर से बनती है।