Kavyalinga Alankar Kise Kahate Hain – काव्यलिंग अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण 

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Definition Of Kavyalinga Alankar In Hindi – काव्यलिंग अलंकार की परिभाषा

वह अलंकार जिसमें किसी बात को समर्थित किया जाता है ओर कारण दिया जाता है वह Kavyalinga Alankar होता है। अर्थात सरल शब्दों में कह सकते हैं कि जब किसी बात में समर्थन के साथ कोई कारण दिया जाता है क्योंकि किसी बात में समर्थन के कारण वह बात अधूरी रह जाती है उसे Kavyalinga Alankar कहते हैं। 

Examples Of Kavyalinga  Alankar In Hindi – काव्यलिंग अलंकार के उदाहरण

1.राम गौर किमि कहीं बखानी ।

गिरा अनयन नयन बिनु बानी ॥”

2. चने चने ते सौगुनी, मादकता अधिकाय

उहि खाए बौरात नर, इहि पाए बौराय।

3. ‘मेरी भव बाधा हरौ, सुप्रिया नागरि सोय ।

जा तन की झाँई परै, राम हरित दुति होय

Conclusion : Kavyalinga Alankar में किसी बात का समर्थन मे युक्ति में कारण हमेशा दिया जाता है बिना करण के उन वाक्य रचनाओं में अधूरापन रह जाता है ऐसे अलंकार को Kavyalinga Alankar कहते हैं Kavyalinga Alankar विषय से जुड़े प्रश्न कॉम्पिटेटिव एक्जाम में हमेशा आते रहते हैं। 

FAQs About Kavyalinga Alankar In Hindi

Q1. काव्यलिंग अलंकार क्या होता है ?

Ans : जब कोई व्यक्ति किसी बात को समर्थित करता है, तो उसे काव्यलिंग अलंकार कहते हैं। 

Q2. काव्यलिंग अलंकार के उदाहरण दीजिए ?

Ans : श्री पुर में, वन मध्य हौं, तू मग करी अनीति।

   कहि मुंदरी! अब तियन की को करिहै परतीति।।

Q3. काव्यलिंग अलंकार की पहचान कैसे होती है ?

Ans : किसी बात में समर्थन के साथ कोई कारण देते है वह काव्यलिंग अलंकार की पहचान होती है। 

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