Kavya Shastra Kise Kahate Hain – काव्य शास्त्र की परिभाषा, भेद, गुण और उदाहरण 

Kavya Shastra In Hindi – स्कूल की कक्षाओं में हर छात्र ने Kavya Shastra के बारे में जरूर पढ़ा होगा लेकिन जैसे-जैसे वह कक्षाएं आगे बढ़ते जाते हैं वह पिछले सभी परिभाषाएं धीरे-धीरे भूलने लगते हैं

उन्हें विषयों की रिवीजन करने के लिए यहां पर Kavya Shastra के बारे में बताया गया है इस पेज Kavya Shastra In Hindi पर Kavya Shastra Ki Paribhasha, Kavya Shastra Ke Bhed, Kavya Shastra Ke Gun, अंग उदाहरण सहित बताए हैं, जो स्कूल में पढ़ने वाले हर छात्रों के लिए उपयोगी है। 

Definition Of Kavya Shastra In Hindi – काव्य शास्त्र  की परिभाषा

Kavya Shastra वह होते हैं जो साहित्य के दर्शन करने वाले जो काव्य होते हैं उसके विज्ञान को Kavya Shastra कहा गया है काव्यशास्त्र का पुराना नाम अलंकारशास्त्र है, जिसे साहित्य शास्त्र भी कहा जाता है. 

इंटरनेट पर आपको Kavya Shastra की विभिन्न प्रकार की परिभाषाएं पढ़ने को मिल जाएगी जो अलग-अलग महाजन द्वारा बताई गई है। सरल शब्दों में काव्य तथा साहित्य के दर्शन और विज्ञान को काव्यशास्त्र कहा गया है। 

Types Of Kavya Shastra In Hindi – काव्य शास्त्र के भेद 

जब भी कोई काव्यशास्त्र के भेद की बात करता है तो इनमें दो प्रकार के भेद निकल कर आते हैं, जिन्हें दो भागों में विभाजित किया गया है 

सामान्य दृष्टि के आधार पर काव्यशास्त्र के दो भेद होते हैं :

  • दृश्य काव्य 
  • श्रव्य काव्य

वही रचना के आधार पर काव्यशास्त्र तीन प्रकार के होते हैं :

  • पद्य काव्य
  • गद्य काव्य
  • चंपू काव्य

काव्य शास्त्र के गुण

काव्यशास्त्र के तीन गुण होते हैं :

  • ओज गुण
  • माधुर्य गुण
  • प्रसाद गुण

ओज गुण 

वह काव्य जिसके कारण काव्य दूसरे व्यक्ति के मन में उत्साह, बलिदान, नवीन आदि के भाव को उसके अंदर प्रकट करता है वह आज गुण होते हैं। 

उदाहरण : छोड़ देंगे रास्ता तेरा, विहन कठनाई सहनकर।

माधुर्य गुण

वह काव्य जिसको पढ़ने से दिल में आनंद, खुशी के भाव उत्पन्न होते हैं उसे माधुर्य गुण कहते हैं इस गुण में श्रृंगार ह्रास और शांत जैसे रसों का आगमन होता है। 

उदाहरण : बसों मेरे नैनन में कृष्ण,

राधे सूरत सांवरी सूरत,

नैना वने रसाल।

प्रसाद गुण 

वह काव्यशास्त्र जिसमें बहुत आसानी से भावार्थ प्राप्त हो जाते हैं यह प्रसाद गुण सभी रसों में पाया जाता है इसमें सुबोध अक्षरों का उपयोग होता है। 

उदाहरण : उठो नन्दलाला अब नैन खोलो जल लाई हूँ

काव्य के अंग

काव्य के तीन अंग होते हैं :

  • रस, 
  • छंद 
  • अलंकार

काव्य शब्द शक्ति किसे कहते हैं ?

काव्य शास्त्रों के हर एक शब्द का कोई ना कोई अर्थ निकलता है उनके अर्थ को बतलाने के लिए जो शक्ति उन शब्दों के अर्थ का बोध करवाती है उसे काव्य शब्द शक्ति कहते हैं शब्द शक्ति तीन प्रकार के होते हैं :

  • अवधी शब्द शक्ति
  • व्यंजन शब्द शक्ति
  • लक्षणा शब्द शक्ति

Conclusion : Kavya Shastra को अच्छे से समझने के लिए उनकी परिभाषा, काव्य के तत्व, भेद और उदाहरण को अच्छे से पढ़ना चाहिए। काव्यशास्त्र की सरल परिभाषा उदाहरण सहित यहां पर बताए गए हैं जो परीक्षाओं में आपका काम आ सकती हैं। 

FAQs About Kavya Shastra In Hindi

Q1. काव्यशास्त्र कितने प्रकार के होते हैं ?

Ans : समृष्टि के आधार पर दो प्रकार के –  दृश्य काव्य, श्रव्य काव्य और रचना के आधार पर तीन प्रकार के पद्य काव्य, गद्य काव्य, चंपू काव्य।

Q2. काव्य के चार तत्व कौन से होते हैं ?

Ans : काव्य के चार तत्व होते है :

  • भावतत्व
  • बद्धि तत्व
  • कल्पना तत्व
  • शैली तत्व

Q3. काव्य में कितने दोष होते हैं ?

Ans : काव्य में छह प्रकार के दोष होते हैं  :

  • श्रुति कटुत्व दोष 
  • ग्राम्यत्व दोष
  • क्लिष्टत्व दोष
  • अप्रतीतत्व दोष 
  • दुष्कर्मत्व दोष
  • अक्रमत्व दोष

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