Bhakti Ras In Hindi – बहुत से पाठकों को यह परेशानी होती है कि वह Bhakti Ras और शांत रस को एक समान मानते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है Bhakti Ras का स्थायी भाव ईश्वर विषयक में होता है जबकि शांत रस बिल्कुल अलग है। उन्ही छात्राओं के लिए यहां “Bhakti Ras In Hindi” पर Bhakti Ras विषय के ऊपर सभी जानकारी बताई गई है, ताकि परीक्षाओं में आप इनका सही उत्तर स्पष्टता के साथ दे सके।
Definition Of Bhakti Ras In Hindi – भक्ति रस परिभाषा
Bhakti Ras का स्थायी भाव ईश्वर विषयक होता है Bhakti Ras में जब कोई व्यक्ति भगवान के प्रति अपना प्रेम, श्रद्धा और ममता को प्रकट करता है तो उन्हें Bhakti Ras कहते हैं Bhakti Ras में मानव भगवान के प्यार में लीन होता है और उनके प्रति श्रद्धा को प्रकट करता है जिसे भक्ति रस कहा गया है।
भक्ति रस के अवयव –
- स्थायी भाव : भगवान रति और ईश्वर विषयक रति
- आलंबन विभाव : साधू, महाजन, पथ-तैराक, माता-पिता आदि
- उद्दीपन विभाव : देव के रुप का वर्णन, भजन करना, कीर्तन, चमत्कार, ईश्वर की कृपा, आदि
- अनुभाव: नेत्र बंद करना, आँखें में नमी, खुश होना
- संचारी भाव: अलौकिकता से जुड़ाव आदि
Examples Of Bhakti Ras In Hindi – भक्ति रस के उदाहरण
1. जी तुम चंदन हम जल,
जाकी गंध तन – तन समाही।
2. मेरे तो गिरधर कृष्णा, दूसरो ना कोई।
जाके सर मोर मुकुट, मेरो पति सोई।।
3. एक भरोसे एक बल, एक आस विश्वास,
एक श्याम घनश्याम हित, चातक कबीरदास।
Conclusion : जिन काव्य रचनाओं में भक्ति, प्रेम का वर्णन होता है वह Bhakti Ras के अंतर्गत आते हैं Bhakti Ras का स्थायी भाव अनुराग रति भी होता है Bhakti Ras में ईश्वर के प्रेम के प्रति श्रद्धा की अनुभूति होती है।
FAQs About Bhakti Ras In Hindi
Q1. भक्ति रस किसे कहते हैं ?
Ans : ईश्वर के प्रति अपनी श्रद्धा, प्रेम के भाव की अनुभूति होने को भक्ति रस कहते हैं।
Q2. भक्ति रस का स्थायी भाव क्या होता है ?
Ans : भक्ति रस का स्थायी भाव अनुराग रति होता है।
Q3. भक्ति रस के संचारी भाव क्या है ?
Ans : निर्वेद, विस्म,उत्साह, हास्य, शर्म,संतोष आदि।