Drashtant Alankar Kise Kahate Hain – द्रष्टान्त अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण

Drashtant Alankar In Hindi – हिंदी व्याकरण कई परीक्षाओं में जैसे यूपीएससी, पीएससी के लिए एक उपयोगी और महत्वपूर्ण विषय है हिंदी व्याकरण के अंदर कई सारे ऐसे टॉपिक है जो प्रतियोगी परीक्षाओं में हमेशा आते हैं उन्ही में से एक विषय है अलंकार, Drashtant Alankar In Hindi पेज पर आपको Drashtant Alankar Kise Kahate Hain, Drashtant Alankar कितने प्रकार के होते हैं उदाहरण सहित बताए गए हैं। 

Definition Of Drashtant Alankar In Hindi – द्रष्टान्त अलंकार की परिभाषा

वह अलंकार जिसमें पहले कही बात को महत्व बना देते हुए दूसरी बात की जाती है लेकिन हम दूसरी बात में कोई सामान्य शब्द प्रकट नहीं होते उन्हें Drashtant Alankar कहा जाता है। 

सरल शब्दों में बताया जाए जब दो वाक्य को दो अलग-अलग बिम्ब -प्रतिबिम्ब से भाव प्रकट होते हैं तो उसे Drashtant Alankar कहते हैं इस अलंकार में उपमय और उपमान के भाव का परस्पर संबंध होता है। 

Examples Of Drashtant Alankar In Hindi – द्रष्टान्त अलंकार के उदाहरण

1.जल मनुज भी आज मुख से श्याम नाम निकालते।

देखो भयंकर भेङिये भी, आज आँसू ढालते।।

2. परी प्रेम गोपाल के, हमहिं न भावत जोग।

 मधुप जनपद पाय के, भीख न मांगत लोग।।

3. जो नहीम उत्तम प्रकृति का कर सकत कुसंग

 नदन विष व्यापत नहीं लिपटे रहत भुजंग ।

Conclusion : जिन अलंकार में उपमय और उपमान तो अलग-अलग वाक्य होते हैं जिनमें केवल धर्म में विभिन्नता होती है लेकिन समान होते हैं वह Drashtant Alankar के अंतर्गत आते हैं Drashtant Alankar में पहले कही गई बात सत्य को साबित कर दे तो वह दृष्टांत अलंकार है। 

FAQs About Drashtant Alankar In Hindi

Q1. दृष्टांत अलंकार क्या है ?

Ans : जिस अलंकार के दो सामान्य वाले या दो विशेष वाक्य में प्रतिबिंब का भाव होता है वह दृष्टांत अलंकार कहलाता है। 

Q2. दृष्टांत का सार्थिक अर्थ क्या होता है ?

Ans : दृष्टांत का सार्थिक अर्थ होता है – उदाहरण

Q3. दृष्टांत अलंकार के उदाहरण बताइए ?

Ans : सठ सुधरहिं सत संगति पाई।

परस परसि कुधातु सुहाई।

Leave a Comment