Champu Kavya Kise Kahate Hain – चम्पू काव्य की परिभाषा, भेद और उदाहरण 

Champu Kavya In Hindi – यदि आप काव्यशास्त्र के बारे में पढ़ रहे हैं तो आपको उनके भेद के बारे में जानकारी होनी चाहिए काव्यशास्त्र में Champu Kavya काव्यशास्त्र का एक भेद है जिसके बारे में आज हम इस पेज “Champu Kavya In Hindi” पर पढ़ने वाले हैं Champu Kavya Kise Kahate Hain, Champu Kavya कितने प्रकार के होते हैं, उनकी विशेषताएं और गुण यहां मौजूद हैं। 

Definition Of Champu Kavya In Hindi – चम्पू काव्य की परिभाषा

वह काव्यशास्त्र जिसमें पघ काव्य और गद्य का दोनों मौजूद होते हैं उसे Champu Kavya कहते हैं अर्थात आप यह कह सकते हैं कि जिन काव्य शास्त्रों में गद्य और पद्य दोनों सम्मिलित होते हैं वह Champu Kavya कहलाते हैं। 

सरल शब्दों में पद्य काव्य और गद्य काव्य का जो मिश्रण होता है वह Champu Kavya होता है Champu Kavya में जो रचना होती है वह दोनों के उपयोग से ही बनती है साहित्य देवता जैसे बड़े उदाहरण Champu Kavya द्वारा ही लिखे गए हैं। 

Examples Of Champu Kavya In Hindi – चम्पू काव्य के उदाहरण

Champu Kavya Ke Udahran
मैथिलीशरण गुप्त की ‘यशोधरा’
माखनलाल चतुर्वेदी की ‘साहित्य देवता’
श्री वियोगी हरि की ‘विश्वधर्म’
श्री राय कृष्ण दास की ‘साधना’ और ‘प्रवाल’
सोमदेव सुरि की यशः तिलक

Conclusion : काव्यशास्त्र में दृश्य काव्य, श्रव्य काव्य की तरह यह Champu Kavya अधिक प्रसिद्ध नहीं हो पाया, इसके अधिक मान्यता नहीं दी गई, वैदिक पुराणों में जैसे महाभारत, भागवत पुराण में आपको Champu Kavya के उपयोग पढ़ने को मिल जाएंगे, बहुत सारे बौद्धिक कथाओं में Champu Kavya को बताया गया है। 

FAQs About Champu Kavya In Hindi

Q1. चंपू काव्य क्या होते हैं ?

Ans : वह काव्यशास्त्र जिसमे गद्य काव्य और पद काव्य होते हैं उसे चंपू काव्य कहते हैं यह दोनों का मिश्रण होता है। 

Q2. चंपू काव्य का क्या उद्देश्य होता है ?

Ans : चंपू काव्य का उद्देश्य रचना में आनंद दिलाना होता है। 

Q3. चंपू काव्य के उदाहरण बताइए ?

Ans : नल चंपू, चंपू काव्य का एक लोकप्रिय उदाहरण है इसमें मैथिली शरण की “यशोधरा” भी शामिल है। 

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