Virodhabhash Alankar Kise Kahate Hain – विरोधाभाष अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण 

Virodhabhash Alankar In Hindi – आज हम यहां पर Virodhabhash Alankar के बारे में बात करने वाले हैं यह अलंकार का एक जरूरी अंग है Virodhabhash Alankar से जुड़ी हुई सभी जानकारी यहां पर शेयर की गई है Virodhabhash Alankar Kise Kahate Hain, Virodhabhash Alankar Ke Bhed Virodhabhash Alankar Ke Udaharan यहाँ मौजूद है।

Definition Of Virodhabhash Alankar In Hindi – विरोधाभाष अलंकार की परिभाषा

अलंकार के वह पद जहां पर वास्तविक विरोध न होने के कारण हमें विरोध का केवल आभास होता है उसे Virodhabhash Alankar कहते हैं। Virodhabhash Alankar की अंतर्गत विरोध नहीं होता केवल विरोध का आभास होता है कि उसे पद में विरोध हो रहा है लेकिन ऐसा नहीं होता। इसमें केवल विरोध होने का आभास प्रकट होता है, जिसे Virodhabhash Alankar कहते हैं। 

Examples Of Virodhabhash Alankar In Hindi – विरोधाभाष अलंकार के उदाहरण

1.राजघाट पर पुल बँधत, गयी पिया के साथ।

आज गये कल देखिके, आज ही लौटे नाथ।।’’

2. ना ईश्वर ही मिला ना बिसाले सनम

ना इधर के रहे ना उधर के रहे।

3. विषमय यह नर्मदा अमृतन को फल देत।

केसव जीवन हार को, असेस दुख हर लेत।।’’

Conclusion : जो छात्र Virodhabhash Alankar के बारे में जानकारी पाना चाहते हैं उनके लिए यह पेज  सबसे अच्छा विकल्प है जहां से वह Virodhabhash Alankar Ki Paribhasha, भेद और उदाहरण स्पष्टीकरण के साथ पढ़ सकते हैं। 

FAQs About Virodhabhash Alankar In Hindi

Q1. विरोधाभाष अलंकार की पहचान क्या है ?

Ans : जब वाक्य में विरोध होने का आभास प्रकट हो, वह विरोधाभाष अलंकार की पहचान होती है। 

Q2. विरोधाभाष अलंकार किस अलंकार का भेद है ?

Ans : विरोधाभाष अलंकार, अर्थालंकार अलंकार का भेद है।  

Q3. विरोधाभाष अलंकार का उदाहरण बताइए ?

Ans : प्रिय मेरी अब हार विजय का।

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