व्यंजन किसे कहते हैं । व्यंजन के भेद, परिभाषा, उदाहरण (Vyanjan in Hindi)

आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे की व्यंजन किसे कहते है एवं इसके प्रकार कितने है। दो या इससे अधिक स्वरों से बनने वाला व्यंजन होता है, व्यंजन वर्ण का ही एक भाग है। लेकिन व्याकरण के अनुसार व्यंजन को अनेक प्रकारों में विभाजित किया गया है। इसलिए हमें व्यंजन क्या है इसे समझना चाहिए. आज का हमारा यह आर्टिकल आपको यह अच्छे से समझाएगा की व्यंजन क्या है एवं इसके प्रकार कितने है। 

व्यंजन क्या है एवं इसके प्रकार के बारे में इस आर्टिकल में हम पूरी जानकारी देने का प्रयास करेंगे. हमें उम्मीद है की हमारी यह मेहनत आपको पसंद आएगी। हम स्कुल टाइम से ही व्यंजनों एंव व्याकरण के बारें में पढ़ते आ रहे है। फिर भी अनेक ऐसे पॉइंट्स है जो हमें व्यंजन या व्याकरण के समझ नहीं आते हैं. हम उन्ही पॉइंट्स को यहाँ पर समझाने की एक मात्र कोशिश कर रहे हैं। आइये जानते है व्यंजन क्या है एवं इसके प्रकार कितने है – 

व्यंजन की परिभाषा – Vyanjan ki Paribhasha

व्यंजन की श्रेणी उन शब्दों को रखा जाता है जिनका उच्चारण स्वरों के बिना मुमकिन नही है। ऐसे शब्द जिनका उच्चारण स्वरों के साथ होता है। दो या दो से अधिक स्वरों से मिलकर बनने वाला शब्द व्यंजन कहलाता है।  

हिन्दी व्याकरण में व्यंजन

हिंदी व्याकरण में कुछ मुख्य व्यंजन इस प्रकार है – 

  • क वर्ग के व्यंजन – क , ख , ग , घ , डं
  • च वर्ग के व्यंजन – च , छ , ज , झ , ञ
  • ट वर्ग के व्यंजन – ट , ठ , ड , ढ , ण , ड़ , ढ़
  • त वर्ग के व्यंजन – त , थ , द , ध , न
  • प वर्ग के व्यंजन – प , फ , ब , भ , म
  • अंतः स्थल वर्ग के व्यंजन – य , र , ल , व
  • उष्म वर्ग के व्यंजन – श , ष , स , ह
  • संयुक्त वर्ग के व्यंजन – क्ष , त्र , ज्ञ , श्र ,
  • गृहीत वर्ग के व्यंजन – ज़ , फ़ ,ऑ

व्यंजन के भेद – Vyanjan ke bhed

हिंदी व्याकरण में व्यंजनों को मुख्य रूप से 4 भागों में विभाजित किया गया है। व्यंजनों की प्रकृति के आधार पर इन के प्रकारों का वर्णन किया गया है। 

व्यंजन के वास्तिव भेद 

व्यंजन के मुख्य भागों की बात करें तो इसमें व्यंजन के 4 मुख्य भेद है जो इस प्रकार है – 

  • स्पर्श व्यंजन – व्यंजन की इस श्रेणी में उन सभी व्यंजनों को रखा जाता है जिसे बोलने के लिए जीभ का प्रयोग किया जाता है। इस व्यंजन में हिंदी व्याकरण के 5 वर्गों को रखा जाता है इसलिए इसे वर्गीय व्यंजन भी कहते है। यह व्यंजन जीभ से टकराने के कारण भी उच्चारित किये जाते है इसलिए इसे उदित व्यंजन भी कहा जाता है। स्पर्श व्यंजन में कुल 25 व्यंजनों को रखा जाता है जैसे – कड़त्रढ़म इत्यादि।
  • अन्तःस्थ व्यंजन –  इस प्रकार के व्यंजन में अंत का अर्थ होता है भीतर या अंदर। इस श्रेणी में उस व्यंजनों का रखा जाता है जिसके उच्चारण के समय जीभ, मुँह के किसी भी भाग को पूरी तरह से स्पर्श नहीं करता है जैसे यव। 
  • ऊष्म व्यंजन – ऊष्म व्यंजन – इस का अर्थ होता है गर्मी या गर्माहट। इस प्रकार के व्यंजनों की कैटेगरी में उन व्यंजनों को रखा जाता है जिसको बोलते समय गर्मी उत्पत्र होती है। इस श्रेणी में 4 व्यंजन को रखा जाता है जैसे श
  • संयुक्त व्यंजन – इस श्रेणी में उस व्यंजनों को रखा जाता है जिसमें दो या दो से अधिक स्वरों को एक साथ मिलाकर बनता है। इसके कुछ मुख्य उदाहरण है जैसे क् और ष से मिलकर क्ष बनता हैत् और र मिलकर त्र बनता है। 

प्राण वायु के आधार पर व्यंजनों के भेद 

प्राण वायु के आधार व्यंजनों को दो मुख्य भागों में बांटा जाता है। 

  • महाप्राण – व्यंजनों की इस श्रेणी में उन व्यंजनों को रखा जाता है जिसमे व्यंजनों के उच्चारण के समय प्राण वायु अधिक निकलती है। महाप्राण व्यंजनों में 14 व्यंजनों को रखा गया है जो निम्न है ‘‘ ख,घ,छ,झ,ठ,ढ,थ,ध,फ,भ,श,ष,स,ह इत्यादि। ’’
  • अल्पप्राण – ऐसे व्यंजन जिसके उच्चारण करते समय मे महाप्राण से कम प्राणवायु का इस्तेमाल होता है। ऐसे व्यंजनों के कुछ उदाहरण निम्न है – ‘‘ क,ग,ङ,च,ज,ञ, ट,ड,ण, त,द,न,प,ब,म,य,र,ल,व इत्यादि। ’’ 

घोष के आधार पर व्यंजनों का विभाजन

घोष के आधार पर व्यंजनों को दो भागों में बांटा जाता है। घोष व सघोष 

  • घोष  – ऐसे व्यंजन जिनके उच्चारण के लिए तंत्रियों में अधिक कंपन होता है, ऐसे व्यंजनों को घोष व्यंजनों की श्रेणी में रखा जाता है। इस श्रेणी के कुछ उदाहरण निम्न है – ख, ग, ङ, ज, झ, ञ, ड, ढ, ण, द, ध, न, ब, भ, म, य, र, ल, व, ह
  • सघोष – ऐसे व्यंजन जिसके उच्चारण के लिए तंत्रियों में कम कंपन होता है, ऐसे व्यंजनों को सघोष व्यंजनों की श्रेणी में रखा जाता है। इस श्रेणी के कुछ उदाहरण निम्न है – क, ख, च, छ, ट, ठ, त, थ, प, फ, ष, श, स

कुड व्यंजन जिनके अन्य नाम 

  1. स्पर्श संघर्षी व्यंजन – च,छ,ज,झ ।
  2. संघर्षी व्यंजन – फ़,व,स,श,ह ।
  3. नासिक्य व्यंजन – ङ,न,ण,म,ञ ।
  4. निरानुनासिक व्यंजन – च,क,ट,थ ।
  5. लुंठित या प्रकम्पित व्यंजन – र
  6. पार्श्विक व्यंजन – ल
  7. स्वर यंत्र मुखी या काकल्य व्यंजन – र
  8. अर्ध स्वर – य,व ।
  9. द्विगुण व्यंजन / उक्षिप्त व्यंजन – ढ़,ड़ ।

उच्चारण के आधार पर vyanjan ke kitne bhed hote hain

उच्चारण के आधार पर व्यंजन को कुछ इस प्रकार से विभाजित किया जा सकता है। 

उच्चारण स्थानव्यंजन
कंठक वर्ग,ह ।
तालुच वर्ग ,य,श ।
मूर्धाट वर्ग ,र,ष ।
दंतत वर्ग ,ल,स ।
ओष्ठप वर्ग,
दंत + ओष्ठ

निष्कर्ष

यहाँ हमने vyanjan kise kahate hain एवं vyanjan kitne prakar ke hote hain की जानकारी दी है, अगर आपको हमारा यह आर्टिकल अच्छा लगा है तो अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करें. अगर व्यंजन से जुड़ा किसी भी तरह का प्रश्न है तो आप यहाँ कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। हमें उम्मीद है की आप हमारी इस मेहनत को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करेंगे।

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